गलती तेरा था या मेरा रिस्ता तो हमारा था, बह गया जो तिनके सा वो घर तो हमारा था। तु मोबाइल पे फ़ोटो देख अफ़सोस करता रह गया, गलती सबकी है पर देखो तिनके सा मेरा घर बह गया। सोच के देखो तो ज़रा मैं कितना बेसहारा था, बाढ़ में भी तृष्णा न मिटी मैं कई बार प्यासे मरा था। बहा ले गया जो घर मेरा, शायद वो बाढ़ ही आवारा था तुम दोषारोपण करना भूल जाना मैं प्रकृति का या किस्मत का मारा था। बाढ़ में बह गया जो तिनके सा, वो सपनो का घर तो हमारा था। ©Ajay गलती तेरा था या मेरा रिस्ता तो हमारा था, बह गया जो तिनके सा वो घर तो हमारा था। तु मोबाइल पे फ़ोटो देख अफ़सोस करता रह गया, गलती सबकी है पर देखो