इसीलिए इस नववर्ष में कुल 13 मास होंगे. नल नामक नवसंवत्सर के राजा बुध व मंत्री शुक्र होंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दोनों ग्रह आपस में मैत्री भाव रखते हैं. राजा और मंत्री के एकमत होने से उस देश व प्रजा दोनों की उन्नति के आसार बढ़ जाते हैं. इसीलिए इस नववर्ष को बेहद शुभ मान रहे हैं. नये संवतसर में ग्रहों की स्थिति में बदलाव व खाद्य पदार्थो पर उनकी दृष्टि रहेगी. चंद्रमा खरीफ फसल, शनि रबी फसल, गुरु जातक के कल्याणार्थ, ऋतु फल, सिंचाई, वित्तीय स्थिति के सूत्रधार सूर्य, रसीले पदार्थ स्वयं बुध देखेंगे.
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की रचना
आचार्य राकेश झा ने ब्रह्म पुराण के आधार पर बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी. इसी कारण इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है. हिंदू धर्मावलंबी इस दिन अपने घरों में पुजा-पाठ कर मुख्य दरवाजे पर तोरण द्वार, स्वास्तिक का शुभ चिह्न, मंगल ध्वज लगते हैं.
चार राशियों के लिए बेहद शुभ
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