भीड़ - भाड़ त घणा ऐकला रहणा भावे है लोगा की संख्या बढ़ती ए जान लागरी है प्राईवेसी खातर जगाह ए ना मिलती इब तो ,थोड़े टेम ऐकला रहन न जी करे है भरे घर त बढ़ीया , खाली छात लाग्गे है ओरा क बारे म सोचते सोचते खुद न भूलगे दुनिया त परे इब ये खेत भावण लाग्गे रिश्ते तो भतेरे पूज्जे , श्याणे,, इब पत्थर की मूर्त आग्गे माथा टेकण लाग्गे || ----shruti mor #want to be alone