" कशमेकस में हैं जिन्दगी फिर ये ढलती शाम कैसी होगी , मत पूछ किस कदर गुजारा कर रहे और तेरे बिन ये रात की सुबह कैसी होगी , सिलवतो पे कुछ निशान छोड़ जो तेरा अरमान अभी बाकी सा है , किस कदर गुजारा कर रहे हैं अभी तेरे होठों की प्यास बाकी हैं . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " कशमेकस में हैं जिन्दगी फिर ये ढलती शाम कैसी होगी , मत पूछ किस कदर गुजारा कर रहे और तेरे बिन ये रात की सुबह कैसी होगी , सिलवतो पे कुछ निशान छोड़ जो तेरा अरमान अभी बाकी सा है , किस कदर गुजारा कर रहे हैं अभी तेरे होठों की प्यास बाकी हैं . " --- रबिन्द्र राम #कशमेकस #जिन्दगी #सिलवतो #निशान #अरमान #गुजारा #होठों #प्यास