नजाने क्यु कुछ आवाज़ें गले में चीख़ बन कर रहे जाती हैं। महेफिलो में फकत मुस्कुराकर, बिन अलल्फ़ाजो़ के कितना कुछ कहे जाती है। बहाए हो तन्हायी में कितने भी आँसू मग़र कई ज़ख्मों को छिपायी जाती है। कुछ ज़िन्दगीया ऐसे भी बिताए जाती हैं। #nojoto #nojotocomedy#satyapremsir#alone #zindagi #tarnnum