हर मनुष्य अपना अपना आत्म निर्माण करे तो यह पृथ्वी स्वर्ग बन सकती है। फिर मनुष्यों को स्वर्ग जाने की इच्छा करने की नहीं वरन् देवताओं को पृथ्वी पर आने की आवश्यकता अनुभव होगी, दूसरों की सेवा सहायता करना पुण्य है पर अपनी सेवा सहायता करना इससे भी बड़ा पुण्य है। अपनी शारीरिक मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक स्थिति को ऊँचा उठाना अपने को एक आदर्श नागरिक बनाना, इतना बड़ा धर्म कार्य है जिसकी तुलना अन्य किसी भी पुण्य परमार्थ से नहीं हो सकती। आदर्श नागरिक