*वक्त बदलता है...* इंसान है इंसान की तरक्की से जलता है , और इस वक्त का क्या? वक्त बदलता है, जो शख्स किसी की आँखों का नूर होता है, कामयाबी पर उसी की निगाहों में खटकता है। बाप चाहे कितना भी कठोर क्यों न हो , बेटे के दर्द पर तो मोम सा पिघलता है। यह दिल कितना भी दिखा करे उसे भूलने का, पर काली रातों में अक्सर रोता और बिलखता है। वो लाख कह दे की जाने से उसके के फर्क नहीं पड़ता, पर देख उसी को संग गैर के बेइंतेहा जलता है। Google #deepesh