दीप जला के मिटता है तम पर कैसे पहुँचु,अपने अंतरतम कोई दीप अभी तक नहीं मिला , जिससे अंतरज्योति मैं जलाऊ " मैं झुकु या अन्य को झुकाउ" मेरे अंदर हावी है,रावण , राम मेरा पराजित क्यों है , अब तक पता नहीं बाहर की जगमग ,धूम धड़ाका ये शोशेबाजी ,ये दिखावा मेरे राम चला जा मेरे भीतर से , मैं नहीं इस काबिल की , अपने भीतर के रावण को त्याग सकू ©Kamlesh Kandpal #Ahnkaar