ओ३म् कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो मे सव्य आहित:। गोजिद्भूयासमश्वजिद्धनंजयो हिरण्यजित्।। -अथर्व० ७/५२/८ भावार्थः- मेरे दाएं हाथ में विचारपूवर्क कर्म करना है। मेरे बाएं हाथ में विजय है। पुरुषार्थ ही मनुष्य को विजयी बनानेवाला है। यह हमें गोजित्, अश्वजित्, धनंजय और हिरण्यजित् अर्थात् स्वर्ण का जीतने वाला बनाता है। #firstquote #sankrit #vedvaani #nishantpurohit