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संकर्षण ने भड़काऊ बयानों पर अखतर दौर आया है रवैया

संकर्षण ने भड़काऊ बयानों पर अखतर दौर आया है रवैया शिव से लेकर अपने आलेख में उचित ही कहा है कि भड़काऊ बयानों पर तंत्र की अनदेखी से समुदाय का नमन बढ़ती है जिससे समाज को भारी क्षति उठानी पड़ती है इसमें खास बात यही है कि तंत्र का एक रवैया आजादी के बाद से बढ़ता गया है समय-समय पर देश के खिलाफ आवाजें भी उड़ती रही है लेकिन मजबूती शासन प्रशासन तंत्र एकपक्षीय झुकाव हमेशा राय विश्वविद्यालयों में हिंदू देवी देवताओं पवित्र ग्रंथों रामायण महाभारत और गीत को लेकर अभद्र 80 जनक kalpana-1 बातों को साजिश साहित्य आजादी के नाम पर बढ़ाया गया है भाई ऐसी आजादी जो की तिथि आत्मक रही हो उसका समुदाय विशेष की कट्टरता की करण दबोचा गया यदि लोकतंत्र में किसी भी विषय पर चर्चा नहीं हो सकती तो क्या तानाशाह में होगी जबकि यह न्यायालय श्री राम के स्वरूप को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस के आग्रह को स्वीकार करने का तत्पर दिखाता है इसी कारण लोकतंत्र पर विस्तार खतरा मंडरा रहा है ना कि अभिव्यक्ति की तर्कपूर्ण देनी है लेकिन सही कहा है कि कोई भी अपने धर्म जाति संप्रदाय के लिए अधिकार नहीं ले सकता जो वह दूसरों को ना चाहे

©Ek villain #तंत्र का एक पक्षीय झुकाव
#friends
संकर्षण ने भड़काऊ बयानों पर अखतर दौर आया है रवैया शिव से लेकर अपने आलेख में उचित ही कहा है कि भड़काऊ बयानों पर तंत्र की अनदेखी से समुदाय का नमन बढ़ती है जिससे समाज को भारी क्षति उठानी पड़ती है इसमें खास बात यही है कि तंत्र का एक रवैया आजादी के बाद से बढ़ता गया है समय-समय पर देश के खिलाफ आवाजें भी उड़ती रही है लेकिन मजबूती शासन प्रशासन तंत्र एकपक्षीय झुकाव हमेशा राय विश्वविद्यालयों में हिंदू देवी देवताओं पवित्र ग्रंथों रामायण महाभारत और गीत को लेकर अभद्र 80 जनक kalpana-1 बातों को साजिश साहित्य आजादी के नाम पर बढ़ाया गया है भाई ऐसी आजादी जो की तिथि आत्मक रही हो उसका समुदाय विशेष की कट्टरता की करण दबोचा गया यदि लोकतंत्र में किसी भी विषय पर चर्चा नहीं हो सकती तो क्या तानाशाह में होगी जबकि यह न्यायालय श्री राम के स्वरूप को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस के आग्रह को स्वीकार करने का तत्पर दिखाता है इसी कारण लोकतंत्र पर विस्तार खतरा मंडरा रहा है ना कि अभिव्यक्ति की तर्कपूर्ण देनी है लेकिन सही कहा है कि कोई भी अपने धर्म जाति संप्रदाय के लिए अधिकार नहीं ले सकता जो वह दूसरों को ना चाहे

©Ek villain #तंत्र का एक पक्षीय झुकाव
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