मेरी ज़िन्दग़ी तेरी यादों में बंट जाती है। मेरी तिश्नग़ी तेरे ख़्वाबों से लिपट जाती है। जब ख़ामोशी का मंज़र होता है तन्हाई में- तेरी तमन्ना मेरी साँसों में सिमट जाती है। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय