ज़िन्दगी यूँ ही तो बशर कर रहा हूँ लफ्ज़ ब लफ्ज़ उसे नज़र कर रहा हूँ जो करता है हर दफा बे कदर मुझे उसी की न जाने क्यों सबसे ज्यादा कदर कर रहा हूँ तुम जैसे हो कभी न मिलने मंज़िल कोई मैं बावला राहगीर कोई ,बे वजह ही सफर कर रहा हूँ जो इबादतें रह गयी है बेअसर कभी मेरी अब लम्हा ब लम्हा उनकी पूरी हर कसर कर रहा हूँ जो जज़्बातों के अश्क़ बूँद बूँद बहे थे कभी अबसार से लफ़्ज़ों के दरियाँ में कलम से उन्हें लहर कर रहा हूँ #lafz #ghazal #hindi #urdu #shayari #इश्क़_unlimited