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तेरे दबे होठ मुस्कुराना। इशारो में ही बहुत कुछ कह

तेरे दबे होठ मुस्कुराना।
इशारो में ही बहुत कुछ कह जाना।
तेरी हर वो बातें भाती है,
अब तो रात में नींद भी नही आती है।। #बिना रस के कवि
तेरे दबे होठ मुस्कुराना।
इशारो में ही बहुत कुछ कह जाना।
तेरी हर वो बातें भाती है,
अब तो रात में नींद भी नही आती है।। #बिना रस के कवि