उन पुरानी शाखों पर ये नई कोंपलें उग आई एक बार वो दाना छीन गए ये नई जगह से चुग अाई कभी चोट मिली कभी धोखा मिला ये दर्द उठा के सौ बार गिरी वो चींटी फिर भी पर्वत लांघ अाई