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सत साहेब 🥀🥀 पूर्ण परमेश्वर सतगुरु रामपाल जी भगवा

सत साहेब 🥀🥀
पूर्ण परमेश्वर सतगुरु रामपाल जी भगवान का *असली संक्षिप्त जीवन परिचय*!!

*सात समुंदर की मसी करू लेखनी करू बनराय - धरती का कागज करू गुरु गुण लिखा ना जाय* हे अखिल ब्रह्मांडो के रचयिता, आपजी का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखने व बताने में 21 ब्रह्मण्ड में कोई भी प्राणी सक्षम नही है  *आप वह समर्थ पिता है जिनके आधे बाल के बराबर भी यह सारी सृष्टि नही है*

अतः  ( संक्षिप्त जीवन परिचय )  शब्द के प्रयोग के लिए हम क्षमा प्रार्थी है ! परंतु भाई बहनों को आपकी अंश मात्र जानकारी के लिए इस शब्द का प्रयोग मजबूरी वश लेना पड़ रहा है 

परमेश्वर ( आपजी ) की अमर वाणी कहती है कि *चारो युग मे हम पुकारे, कूक कहा हम हेल रे - हीरे मोती माणक बरसे, ये जग चुगता ढेल रे* अर्थात  काल जाल से अपनी आत्माओ को चेताने व निज घर की जानकारी देने, के लिए वह कविर्देव ( सत्पुरुष ) परमात्मा सतलोक से चलकर चारो युगों में स्वयं ही आते है 

सतयुग में सत सुकरत ऋषि नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्दर ऋषि नाम से, द्वापर युग में करुणामय ऋषि नाम से , कलयुग की प्रथम पीढ़ी में कबीर देव नाम से, उसके लगभग 250 वर्ष बाद गरीब दास जी महाराज जी के नाम से और अब बिचली पीढ़ी में 8 सितंबर 1951 को, गाँव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में अपने विधान अनुसार अतिथि रूप में धरती पर "संत रामपाल दास"  नाम से प्रकट हो चुके है ( *अपने नाम के आगे दास शब्द वह परमात्मा सिर्फ हम आत्माओ को दास की परिभाषा समझाने के लिए लगाते है* )

*साहेब से सतगुरु भय सतगुरु से भय संत - धर धर भेख विशाल अंग खेलै आदि और अंत* इस अमरवाणी के अनुसार सत्पुरुष ने 8 सितंबर 1951 के दिन प्रकट होकर 17 फरवरी 1988 तक एक साधारण से किसान परिवार में हमारी चरम दृष्टि को धोखा देते हुए दो अच्छी आत्माओ ( माता इन्द्रो देवी / भगत नादराम जी ) को अपने मुँह बोले माता पिता के रूप में, इस नश्वर संसार मे लीला करने हेतु स्वयं के आने ( प्रकट होने ) के लिए निमित बनाया 

17 फरवरी 1988 को ठीक उसी तरह कबीर सागर में लिपिबद्ध  अपनी वाणी ( *12 वे पंथ हम ही चल आवै - सब पंथों को मिटाकर एक पंथ चलावै* ) के अनुसार 650 साल पहले की तरह गुरु शिष्य परंपरा व भगत बनकर हम जीव आत्माओ को एक भगत के लक्षण समझाने के लिए, जैसे पंडित रामानंद जी को मुँह बोला गुरु बनाया था *ठीक उसी तरह जगतगुरु होने के उपरांत भी 17 फरवरी 1988 को आदरणीय रामदेवानंद जी को अपना मुँह बोला गुरु बनाकर 12 वे पंथ में प्रवेश किया* 

तथा उसके बाद सन 1994 से सत्संग व नामदान देना शुरू करके सच्चे सतगुरु की भूमिका निभा रहे है

आप स्वयं कबीर देव है ! मर्यादा में रहकर भक्ति करने वाली अनेक आत्माओ को आपने जीवन दान व आध्यात्मिक सुख देने के साथ साथ शास्त्र अनुसार भक्ति देकर मोक्ष का मार्ग भी दिखा दिया ! 

सन 1994 से आज तक आपजी ने परमार्थ के लिए निस्वार्थ भाव से जो संघर्ष करके दिखाया है - यह आपकी दयालुता - साधुता व समर्थता का प्रमाण है

वेदों में लिखित अपनी महिमा व गुणों को सत्य साबित करने के लिए की
👉🏿 वह परमात्मा कमल के विकसित फूल पर शिशु रूप में प्रकट होकर कुंवारी गाय के दूध से अपनी परवरिस करवाता है
 👉🏿 वह परमात्मा मुर्दे को जीवन देकर 100 वर्ष की उम्र प्रदान कर सकता है
👉🏿 निर्धन को धन देकर सुखी कर सकता है
👉🏿 कोढ़ी व रोगी को स्वस्थ करके नया जीवन दे सकता है
👉🏿 बांझ को पुत्र व अंधे को आंख दे सकता है

आदि आदि वेदों में वर्णित महिमा को  यथार्थ रूप देने के लिए चारो युगों में मात्र एक एक जीवन किसी तालाब में विकसित कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट होने की लीला करते है *अन्येथा आपजी ( परमेश्वर ) को किसी तालाब, कमल के फूल या शिशु रूप में प्रकट होने की कोई आवश्यकता नही होती है* आपजी जब चाहे, जहां चाहे जिस रूप व अवस्था ( उम्र ) मे प्रकट होना चाहे हो सकते है  
👉🏿 जैसे नानक जी को बेई नदी व धर्मदास जी को मथुरा में जिंदा महात्मा के रूप में प्रकट होकर ज्ञान समझाया
👉🏿1392 में प्रकट होकर तैमूर लंग को 7 पीढ़ी के राज्य का आशिर्वाद दिया
👉🏿 लगभग 300 वर्ष पहले आदरणीय गरीब दास जी महाराज जी के रूप में प्रकट होकर *सद्ग्रन्थ साहेब* की रचना की तथा छुड़ानी गाँव मे गंगा जी को प्रकट करने तक कि अद्भुत लीला की
👉🏿 लगभग 60 - 65 वर्ष तक छुड़ानी से निर्वाण होने के बाद 35 वर्ष तक उसी रूप में, सहारनपुर उत्तर प्रदेश में अपने प्रिय भगत भूमड़ दास ( सैनी ) के बाग में रहने की लीला की
👉🏿 और आज साक्षात अपने वास्तविक सतलोकीय स्वरूप में सतगुरु रामपाल जी के नाम से 8  सितंबर 1951 से हम सब के समक्ष प्रकट है

*हे जगत नाथ* आपकी लीला अदभुत है ! हे अविगत परमेश्वर आपजी की गति को कौन जान सकता है ! हे देवो के देव महादेव आपजी स्वयं अपनी कृपा व आशिर्वाद से अपनी समर्थता व गति का अंश मात्र आभास करवाकर दया करते है

*हे दयालु परमेश्वर*  अपनी भोली व नासमझ साध संगत पर अपनी प्रेम दृष्टि, आशिर्वाद व कृपा बनाये रखना ! हमारी आपजी से दंडवत प्रार्थना है की *हमारे अंदर भक्ति की कसक व चाह सदा बनी रहे* हे प्रभु इतनी दृढ़ता भी देना चाहे ब्रह्मा विष्णु महेश काल व दुर्गा भी हमे आपकी सतभक्ति से विचलित करना चाहे तो भी हम डगमग ना हो !

मन चाहता है इस तुच्छ जिह्वा से ऐसे ही आपकी महिमा का बखान करते रहे - लेकिन आप अंतर्यामी की महिमा का बखान करने में हम जीव पूर्णतया सक्षम नही है !!

ज्ञान आधारित शंका समाधान के लिए सतगुरु Help line नंबर ▶️ ☎️869095 2023  ☎️869008 2023  ☎️869061 2023   ☎️869065 2023 ▶️ सतगुरु को मानुष मानकर उनका जन्म दिवस मनाने वाले - और कागज के कबीर को भगवान मानकर उनका प्रकट दिवस मनाने वाले सतलोक आश्रम मैनेजमेंट हरियाणा की कुसंगति को त्यागकर *साध संगति से जुड़िये* 

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!! सत साहेब !!

©Shivadas #Santrampalji 
#SaintRampalJiQuotes
सत साहेब 🥀🥀
पूर्ण परमेश्वर सतगुरु रामपाल जी भगवान का *असली संक्षिप्त जीवन परिचय*!!

*सात समुंदर की मसी करू लेखनी करू बनराय - धरती का कागज करू गुरु गुण लिखा ना जाय* हे अखिल ब्रह्मांडो के रचयिता, आपजी का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखने व बताने में 21 ब्रह्मण्ड में कोई भी प्राणी सक्षम नही है  *आप वह समर्थ पिता है जिनके आधे बाल के बराबर भी यह सारी सृष्टि नही है*

अतः  ( संक्षिप्त जीवन परिचय )  शब्द के प्रयोग के लिए हम क्षमा प्रार्थी है ! परंतु भाई बहनों को आपकी अंश मात्र जानकारी के लिए इस शब्द का प्रयोग मजबूरी वश लेना पड़ रहा है 

परमेश्वर ( आपजी ) की अमर वाणी कहती है कि *चारो युग मे हम पुकारे, कूक कहा हम हेल रे - हीरे मोती माणक बरसे, ये जग चुगता ढेल रे* अर्थात  काल जाल से अपनी आत्माओ को चेताने व निज घर की जानकारी देने, के लिए वह कविर्देव ( सत्पुरुष ) परमात्मा सतलोक से चलकर चारो युगों में स्वयं ही आते है 

सतयुग में सत सुकरत ऋषि नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्दर ऋषि नाम से, द्वापर युग में करुणामय ऋषि नाम से , कलयुग की प्रथम पीढ़ी में कबीर देव नाम से, उसके लगभग 250 वर्ष बाद गरीब दास जी महाराज जी के नाम से और अब बिचली पीढ़ी में 8 सितंबर 1951 को, गाँव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में अपने विधान अनुसार अतिथि रूप में धरती पर "संत रामपाल दास"  नाम से प्रकट हो चुके है ( *अपने नाम के आगे दास शब्द वह परमात्मा सिर्फ हम आत्माओ को दास की परिभाषा समझाने के लिए लगाते है* )

*साहेब से सतगुरु भय सतगुरु से भय संत - धर धर भेख विशाल अंग खेलै आदि और अंत* इस अमरवाणी के अनुसार सत्पुरुष ने 8 सितंबर 1951 के दिन प्रकट होकर 17 फरवरी 1988 तक एक साधारण से किसान परिवार में हमारी चरम दृष्टि को धोखा देते हुए दो अच्छी आत्माओ ( माता इन्द्रो देवी / भगत नादराम जी ) को अपने मुँह बोले माता पिता के रूप में, इस नश्वर संसार मे लीला करने हेतु स्वयं के आने ( प्रकट होने ) के लिए निमित बनाया 

17 फरवरी 1988 को ठीक उसी तरह कबीर सागर में लिपिबद्ध  अपनी वाणी ( *12 वे पंथ हम ही चल आवै - सब पंथों को मिटाकर एक पंथ चलावै* ) के अनुसार 650 साल पहले की तरह गुरु शिष्य परंपरा व भगत बनकर हम जीव आत्माओ को एक भगत के लक्षण समझाने के लिए, जैसे पंडित रामानंद जी को मुँह बोला गुरु बनाया था *ठीक उसी तरह जगतगुरु होने के उपरांत भी 17 फरवरी 1988 को आदरणीय रामदेवानंद जी को अपना मुँह बोला गुरु बनाकर 12 वे पंथ में प्रवेश किया* 

तथा उसके बाद सन 1994 से सत्संग व नामदान देना शुरू करके सच्चे सतगुरु की भूमिका निभा रहे है

आप स्वयं कबीर देव है ! मर्यादा में रहकर भक्ति करने वाली अनेक आत्माओ को आपने जीवन दान व आध्यात्मिक सुख देने के साथ साथ शास्त्र अनुसार भक्ति देकर मोक्ष का मार्ग भी दिखा दिया ! 

सन 1994 से आज तक आपजी ने परमार्थ के लिए निस्वार्थ भाव से जो संघर्ष करके दिखाया है - यह आपकी दयालुता - साधुता व समर्थता का प्रमाण है

वेदों में लिखित अपनी महिमा व गुणों को सत्य साबित करने के लिए की
👉🏿 वह परमात्मा कमल के विकसित फूल पर शिशु रूप में प्रकट होकर कुंवारी गाय के दूध से अपनी परवरिस करवाता है
 👉🏿 वह परमात्मा मुर्दे को जीवन देकर 100 वर्ष की उम्र प्रदान कर सकता है
👉🏿 निर्धन को धन देकर सुखी कर सकता है
👉🏿 कोढ़ी व रोगी को स्वस्थ करके नया जीवन दे सकता है
👉🏿 बांझ को पुत्र व अंधे को आंख दे सकता है

आदि आदि वेदों में वर्णित महिमा को  यथार्थ रूप देने के लिए चारो युगों में मात्र एक एक जीवन किसी तालाब में विकसित कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट होने की लीला करते है *अन्येथा आपजी ( परमेश्वर ) को किसी तालाब, कमल के फूल या शिशु रूप में प्रकट होने की कोई आवश्यकता नही होती है* आपजी जब चाहे, जहां चाहे जिस रूप व अवस्था ( उम्र ) मे प्रकट होना चाहे हो सकते है  
👉🏿 जैसे नानक जी को बेई नदी व धर्मदास जी को मथुरा में जिंदा महात्मा के रूप में प्रकट होकर ज्ञान समझाया
👉🏿1392 में प्रकट होकर तैमूर लंग को 7 पीढ़ी के राज्य का आशिर्वाद दिया
👉🏿 लगभग 300 वर्ष पहले आदरणीय गरीब दास जी महाराज जी के रूप में प्रकट होकर *सद्ग्रन्थ साहेब* की रचना की तथा छुड़ानी गाँव मे गंगा जी को प्रकट करने तक कि अद्भुत लीला की
👉🏿 लगभग 60 - 65 वर्ष तक छुड़ानी से निर्वाण होने के बाद 35 वर्ष तक उसी रूप में, सहारनपुर उत्तर प्रदेश में अपने प्रिय भगत भूमड़ दास ( सैनी ) के बाग में रहने की लीला की
👉🏿 और आज साक्षात अपने वास्तविक सतलोकीय स्वरूप में सतगुरु रामपाल जी के नाम से 8  सितंबर 1951 से हम सब के समक्ष प्रकट है

*हे जगत नाथ* आपकी लीला अदभुत है ! हे अविगत परमेश्वर आपजी की गति को कौन जान सकता है ! हे देवो के देव महादेव आपजी स्वयं अपनी कृपा व आशिर्वाद से अपनी समर्थता व गति का अंश मात्र आभास करवाकर दया करते है

*हे दयालु परमेश्वर*  अपनी भोली व नासमझ साध संगत पर अपनी प्रेम दृष्टि, आशिर्वाद व कृपा बनाये रखना ! हमारी आपजी से दंडवत प्रार्थना है की *हमारे अंदर भक्ति की कसक व चाह सदा बनी रहे* हे प्रभु इतनी दृढ़ता भी देना चाहे ब्रह्मा विष्णु महेश काल व दुर्गा भी हमे आपकी सतभक्ति से विचलित करना चाहे तो भी हम डगमग ना हो !

मन चाहता है इस तुच्छ जिह्वा से ऐसे ही आपकी महिमा का बखान करते रहे - लेकिन आप अंतर्यामी की महिमा का बखान करने में हम जीव पूर्णतया सक्षम नही है !!

ज्ञान आधारित शंका समाधान के लिए सतगुरु Help line नंबर ▶️ ☎️869095 2023  ☎️869008 2023  ☎️869061 2023   ☎️869065 2023 ▶️ सतगुरु को मानुष मानकर उनका जन्म दिवस मनाने वाले - और कागज के कबीर को भगवान मानकर उनका प्रकट दिवस मनाने वाले सतलोक आश्रम मैनेजमेंट हरियाणा की कुसंगति को त्यागकर *साध संगति से जुड़िये* 

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