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छाती छाया की आशा, अकेली खड़ी वो बिना सहारे, बूंदो

छाती छाया की आशा, अकेली खड़ी वो बिना सहारे, 
बूंदों की मौन गाथा, उसकी आँखों में प्यारे।

साथ चलती वो अपने सपनों के सहारे,
 जैसे जीवन की हर मुश्किल से करती  है वो निपटारे।

बदलों की छायाओं में, वो खो जाती है खुद में, 
अपनी ताक़त से मजबूत, बनती है खुद की सेना।

अकेलापन की आवाज़, उसकी आँखों में है छुपी, 
वो खुद को पाती है नयी दिशा,
 जब खड़ी होती वो अपनी मंजिल की ओर।

©Arpan Jain
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