मैं लड़की हूँ पर माँ तुम मुझे समझो ना, जमाने की बंदिशें यूँ तुम मुझपे ना बाँधो ना, मैं कुछ गलत काम नहीं करूंगी इतना मैं कहती हूँ तो तुम भी अपने संस्कारों पे विश्वास रख लो ना, कभी ना समझे आप पर इस बार मेरी व्यथा को समझो ना। इच्छाओं को हर बार मारा हैं माँ पर इस बार 'मत मार' बस इतना ही कह दो ना। माँ!! एक उड़ान जरूरी है मंज़िल के लिए बस इतना तो समझो ना। मेरी मर्जियों का कभी न तुमने ख़्याल रखा पर इस पहली और आखिरी बार जरा मुझे देख लो ना। मुझे समझो ना। टूट जाऊंगी तुम सम्भालो ना माँ। #clouds #केवल इस बार मुझे समझो ना।