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क्या लिखूँ की वो परियो का रूप होती है ! या कड़कती ठ

क्या लिखूँ की वो परियो का रूप होती है !
या कड़कती ठण्ड में सुहानी धूप होती है !
वो होती है चिड़िया की चहचाहट की तरह ,
या फिर निच्चल खिलखिलाहट,

वो अक्क्षर जो न हो तो वर्णमाला अधूरी है !
वो जो सबसे जयादा जरूरी है !
ये नहीं कहूँगा कि वो हर वक़्त सांस सांस होती है !
क्यूकि बेटिया तो सिर्फ अहसास होती है

 #shailesh_lodha  #thepoetry_project
क्या लिखूँ की वो परियो का रूप होती है !
या कड़कती ठण्ड में सुहानी धूप होती है !
वो होती है चिड़िया की चहचाहट की तरह ,
या फिर निच्चल खिलखिलाहट,

वो अक्क्षर जो न हो तो वर्णमाला अधूरी है !
वो जो सबसे जयादा जरूरी है !
ये नहीं कहूँगा कि वो हर वक़्त सांस सांस होती है !
क्यूकि बेटिया तो सिर्फ अहसास होती है

 #shailesh_lodha  #thepoetry_project