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आहिस्ता क्या हम जोरों से भी धक्का दे होंठो के कोर

आहिस्ता क्या हम जोरों से भी धक्का दे होंठो के कोर हटा मुस्कुरा लेंगे बस कोई मुस्कान पर एतबार करने वाला तो हो...  _______________________________________________
इससे पहले की तनाव की एक परत और बढ़ जाये
होठों के कोरों को आहिस्ता धक्का देकर मुस्कुरा लीजिये।
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क्या पता कल कोई बहोत अपना अचानक गैर बन जाये
तंग रिश्तों की गर्माहट को जरा अपनेपन की हवा दीजिये।
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कुछ पाने की जद में कुछ खोने का गम महसूस किया तो होगा
आहिस्ता क्या हम जोरों से भी धक्का दे होंठो के कोर हटा मुस्कुरा लेंगे बस कोई मुस्कान पर एतबार करने वाला तो हो...  _______________________________________________
इससे पहले की तनाव की एक परत और बढ़ जाये
होठों के कोरों को आहिस्ता धक्का देकर मुस्कुरा लीजिये।
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क्या पता कल कोई बहोत अपना अचानक गैर बन जाये
तंग रिश्तों की गर्माहट को जरा अपनेपन की हवा दीजिये।
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कुछ पाने की जद में कुछ खोने का गम महसूस किया तो होगा