अपनी मात्र भाषा हिंदी की वजाय किसी अन्य भाषाओं को उच्च और श्रेष्ठ समझना बिल्कुल वैसा ही है, जैसे अपनी माँ को माँ ना कहकर किसी अन्य की माँ को माँ कहना। अमर 'अरमान' भाव और भावनाओं की भाषा,हिंदी।