ना जाने कितनी रातें मैंने गुजारी हैं जागते हुए इन अंधेरों में, क्या तुम मेरे लिए कहीं से थोड़ा नूर लेके आओगे? नींद मुझे अब जल्दी आती नहीं है, ना जाने कितनी तकिया भीगी है आसूंओं से मेरे, क्या कभी मुझे तुम मेरी मां की तरह अपनी गोद में सर रख के सुलाओगे? सुना है आज भी है आंगन बड़ा तुम्हारे घर का जहां एक पेड़ है, क्या मुझ में छुपे थोड़े से बचपना को वो दिखाओगे? जिन्दगी में आज तक अपनी हर प्यारी चीज मैने खोई है, पर फिर भी खुद की किस्मत आजमाना चाहूंगा, क्या तुम मेरा साथ निभाना चाहोगे? लिखा है मैने भी कुछ अपने तुम्हारे बारे में, वो सुनाऊंगा तुम्हे ही जब कभी भी तुम मुझसे मिलने आओगी... #शिव ©Shivendra Gupta 'शिव' #अंधेरी_रात #selflove