मेरी कलम से निकले हुये शब्द को केवल शब्द मत समझना ये वो गहरे विचार हैं जिनसे मैं रुबरु होता हूं अकसर ये वो ख्वाहिशें हैं जिन्को पाने की मेरी चाहत है ये वो कड़ी है जो एक दूसरे से जुड़ी हैं और कुछ कहना चाह रही हैं मिलकर, अगर जज्बात हैं तो पढ़ इन्हे और होजा इनमे शामिल एक सैर कर मेरे संग और जानले गहराई इस जीवन की जो तू समझता है वो तू है नही तेरे अनदर ही छिपा खुदा है जिसे तू ढूंढने बहार चला है आ मेरे विचार मे होजा तू भी शामिल और ढल जा इन शब्दो में आयत की तरहा मेरी कलम क्या कहना चाहती है,मेरे शब्दो मैं पढ़िये... मेरी कलम से निकले हुये शब्द को केवल शब्द मत समझना ये वो गहरे विचार हैं जिनसे मैं रुबरु होता हूं अकसर ये वो ख्वाहिशें हैं जिन्को पाने की मेरी चाहत है ये वो कड़ी है जो एक दूसरे से जुड़ी हैं और कुछ कहना चाह रही हैं मिलकर,