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रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए दिल जला तो बहुत

रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए दिल जला तो बहुत मगर राख ना हुए, अजी उसने तो मेरे दिल पर खंजर बहुत बार मारा है, मगर है खुदा का करम कि मेरे दिल में अभी तक सुराख ना हुए । #कविता#नोजोटोहिन्दी#दिलजला
रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए दिल जला तो बहुत मगर राख ना हुए, अजी उसने तो मेरे दिल पर खंजर बहुत बार मारा है, मगर है खुदा का करम कि मेरे दिल में अभी तक सुराख ना हुए । #कविता#नोजोटोहिन्दी#दिलजला