जमुनियाँ अपलक देखता हूँ रोज देखता हूँ वर्षों से देखता हूँ जाड़े में भी देखता हूँ गर्मी में देखता हूँ बारिश में देखता हूँ बसंत में भी देखता हूँ चिलचिलाती धूप हो या कड़कड़ाती सर्दी बारिश में भींग कर भी रोज अनवरत देखता हूँ यह करती है मेरा पोषण यह है धरती का एक टुकड़ा जहाँ मैं करता हूँ अपना व्यापार है यह जमुनियाँ ग्राम बेमिसाल जमुनियाँ # चाँद सा है मुखड़ा #