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हां एक दफा मैंने भी इज़हार किया था, मैंने खुदके ख्

हां एक दफा मैंने भी इज़हार किया था,
मैंने खुदके ख्यालों में उसके जवाब का इंतज़ार किया था,
बात यह थी कि वो पहले से मोहब्बत में नाकाम था,
यह जानते हुए भी प्यार में पड़ चुका दिल मेरा नादान था।

जज़्बात इतने बड़ चुके थे कि किनारा कर लेना आसान कहा था,
अब मुझे उसके जवाब का भी इंतज़ार न रहा था,
मैंने अपने जज्बातों पे पर्दा डालना ठीक समझा,
मैंने मोहब्बत को छुपा कर दोस्ती को बचाना ठीक समझा।

अब मैं खुद भी उस मोहब्बत से नज़रें चुराती थी,
पर उसे उदास देखकर मुझे भी नींद कहा आती थी,
वो भी अंदर ही अंदर अपनी कहानी से लड़ रहा था,
मेरा मन मोहब्बत के रास्ते दोस्ती का लिबास पहने चल रहा था।


जैसे जैसे दिन गुज़र रहे थे खुदको समझती जा रही थी,
पर मोहब्बत को रुकना आता नहीं वो तो बढ़ती जा रही थी,
उम्मीदें मैं अपनी बढ़ने से पहले ही दफनाती जा रही थी,
कुछ इस तरह मोहब्बत के आगे हाथ जोड़ दोस्ती बचाती जा रही थी।

Namu Sharma 🖋️ हां एक दफा मैंने भी इज़हार किया था,
मैंने खुदके ख्यालों में उसके जवाब का इंतज़ार किया था,
बात यह थी कि वो पहले से मोहब्बत में नाकाम था,
यह जानते हुए भी प्यार में पड़ चुका दिल मेरा नादान था।

जज़्बात इतने बड़ चुके थे कि किनारा कर लेना आसान कहा था,
अब मुझे उसके जवाब का भी इंतज़ार न रहा था,
मैंने अपने जज्बातों पे पर्दा डालना ठीक समझा,
हां एक दफा मैंने भी इज़हार किया था,
मैंने खुदके ख्यालों में उसके जवाब का इंतज़ार किया था,
बात यह थी कि वो पहले से मोहब्बत में नाकाम था,
यह जानते हुए भी प्यार में पड़ चुका दिल मेरा नादान था।

जज़्बात इतने बड़ चुके थे कि किनारा कर लेना आसान कहा था,
अब मुझे उसके जवाब का भी इंतज़ार न रहा था,
मैंने अपने जज्बातों पे पर्दा डालना ठीक समझा,
मैंने मोहब्बत को छुपा कर दोस्ती को बचाना ठीक समझा।

अब मैं खुद भी उस मोहब्बत से नज़रें चुराती थी,
पर उसे उदास देखकर मुझे भी नींद कहा आती थी,
वो भी अंदर ही अंदर अपनी कहानी से लड़ रहा था,
मेरा मन मोहब्बत के रास्ते दोस्ती का लिबास पहने चल रहा था।


जैसे जैसे दिन गुज़र रहे थे खुदको समझती जा रही थी,
पर मोहब्बत को रुकना आता नहीं वो तो बढ़ती जा रही थी,
उम्मीदें मैं अपनी बढ़ने से पहले ही दफनाती जा रही थी,
कुछ इस तरह मोहब्बत के आगे हाथ जोड़ दोस्ती बचाती जा रही थी।

Namu Sharma 🖋️ हां एक दफा मैंने भी इज़हार किया था,
मैंने खुदके ख्यालों में उसके जवाब का इंतज़ार किया था,
बात यह थी कि वो पहले से मोहब्बत में नाकाम था,
यह जानते हुए भी प्यार में पड़ चुका दिल मेरा नादान था।

जज़्बात इतने बड़ चुके थे कि किनारा कर लेना आसान कहा था,
अब मुझे उसके जवाब का भी इंतज़ार न रहा था,
मैंने अपने जज्बातों पे पर्दा डालना ठीक समझा,