कभी कभी बेवजह ही ये मन.. ताकता है तुम्हारी राहें... हर पल में उम्मीदें भी बेशुमार रखता है.. ऐसा तो नहीं की नही जानते मजबूरियां तुम्हारी.. फिर भी आँखों में बेवजह ही इंतजार रहता है.. बेकल सा मन ढूंढता रहता है सुकून के पल तुम संग गुजारने को... भीगी सी इन नजरों में जरा सा ऐतबार रहता है.. सुबह के पहले किरण संग.. सौंधी सी धूप बन कर चले आओगी छू लेने मुझे तुम.. वो तुम्हारा बेवजह ही हमे सताना और बतियाना, वो खट्टी मीठी नोक झोंक, तुम से मिलने.. तुम में मिल जाने को.. ये मन मेरा अक्सर यूंही🥺💔 बेकरार रहता है..!!##अनिकेत शर्मा #कुछ_बाते 🖤 © Aniket Sharma #together