White बहकते हैं हर रोज़ ये कदम, तुम्हारे पास आने के लिए, न जानें कितने फासले, अभी तय करने हैं तुम्हें पाने के लिए…. बस इसी तरह सोचा किए थे हम अब, तुमसे मिलने तुमसे बतियाने की चाहत ही बाकी न रही न अब दर्द है, न निशाँ मोहब्बत के उजाड़ दिया है आशियां हमने ख़ुद अपने हाथों से तुम रहो सलामत, हम ख़ुश हैं अपनी ख़ुदी में ©हिमांशु Kulshreshtha खुश हैं..