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श्री कृष्ण नहीं मैं जानती कृष्णा, करूं क्या मैं त

श्री कृष्ण

नहीं मैं जानती कृष्णा, करूं क्या मैं तुम्हें अर्पण?
छिपे हैं भाव जो दिल में, लो करती हूं मैं समर्पण।
मैं करती हूं प्रभु विनती, उसे स्वीकार भी कर लो,
तेरी सूरत ही अब देखूं, निहारूं जब कभी दर्पण।।

मैं जग की रीत क्या जानूं, मैं  कोई प्रीत ना जानूं,
मेरे जीवन खिवइंया तुम, कन्हैया  बस तुम्हें मानूं।
दरश दे दो मुझे कान्हा कि मेरा मन हुआ व्याकुल,
कि अंखिया भीग ना जाएं, तेरी मूरत ही बस ठानूं।

डगर जीवन की है मुश्किल, पार इसको लगा देना,
सारथी बन के कान्हा तुम सोई किस्मत जगा देना।
करूं  आराधना  तेरी,  करूं  मैं   श्री  चरण-वन्दन,
पधारो  श्याम- सुंदर तुम,  द्वंद मन  के  भगा देना

©Vandana Namdev #DearKanha 
#मुक्तकहिन्दी 
#KrishnaJanmashtami 
#jayshreekrishna 
#janmastmi 
#vandananamdev 
#nojato 
#nojohindi
श्री कृष्ण

नहीं मैं जानती कृष्णा, करूं क्या मैं तुम्हें अर्पण?
छिपे हैं भाव जो दिल में, लो करती हूं मैं समर्पण।
मैं करती हूं प्रभु विनती, उसे स्वीकार भी कर लो,
तेरी सूरत ही अब देखूं, निहारूं जब कभी दर्पण।।

मैं जग की रीत क्या जानूं, मैं  कोई प्रीत ना जानूं,
मेरे जीवन खिवइंया तुम, कन्हैया  बस तुम्हें मानूं।
दरश दे दो मुझे कान्हा कि मेरा मन हुआ व्याकुल,
कि अंखिया भीग ना जाएं, तेरी मूरत ही बस ठानूं।

डगर जीवन की है मुश्किल, पार इसको लगा देना,
सारथी बन के कान्हा तुम सोई किस्मत जगा देना।
करूं  आराधना  तेरी,  करूं  मैं   श्री  चरण-वन्दन,
पधारो  श्याम- सुंदर तुम,  द्वंद मन  के  भगा देना

©Vandana Namdev #DearKanha 
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