ईलाही चश्म को मेरे यूँ रोशनाई दे मुझे चमन का हर एक ज़र्रा तक दिखाई दे मैं एक बुलबुल-ए-दिलगीर की तरह चहकूँ ज़माने भर को मेरी नगमगी सुनाई दे ज़बान-ए-अहल-चमन इश्क़ इश्क़ हो या ! रब ईलाही ! सबको यहाँ ज़र्फ़-ए-ख़ुश-अदाई दे ये वो तड़प है के जिसमे सुकून है दिल का चमन के इश्क़ में तड़पूं वो आशनाई दे वो दौर जिसमें थे मौजूद बानी-ए-गुलशन ये आरज़ू है कि वो दौर-ए-इब्तिदाई दे ©Danish khan #myamu #mypride #myindia #mypride #sirsayyed