रात के 12 बजे मेरा दरवाजा खुला और जैसे एक अंजान सी आहट की अनुभूति हुई!अंधेरे में कमरे की हल्की रोशनी जो विचित्र सी आकृतियाँ दीवार पर उकेर रही थी! उन्होंने तो जैसे मेरे डर पर और गहरा आघात कर दिया!खुद को चादर में समेटे में सिमट गया!तभी पीछे के रोशनदान से कुत्तों के रोने की आवाज सुनाई दी!अब तो जैसे लगने लगा सच में कोई मेरे ऊपर हावी हो रहा था!मेरा पूरा शरीर पसीने से तर था!ऐसा लगने लगा जैसे किसी ने मुझे अपने शिकंजे मे जकड़ लिया है! ना आवाज निकल रही थी! ना हाथ-पैर ही काम कर रहे थे!लगा जैसे आज अँधेरे के इस सागर में कोई लील ही लेगा मुझे!इतने में बाहर से मां ने आवाज लगाई और मेरी नींद टूट गई!फिर समझ आया मैं एक सपना देख रहा था और मेरा डर ही था जो मुझपे हावी था! ©Rimpi chaube #डर 😨 रात के 12 बजे अचानक से मेरा दरवाजा खुला और जैसे एक अंजान सी आहट की अनुभूति हुई!अंधेरे में कमरे की हल्की रोशनी जो विचित्र सी आकृतियाँ दीवार पर उकेर रही थी! उन्होंने तो जैसे मेरे डर पर और गहरा आघात कर दिया!खुद को चादर में समेटे में सिमट गया!तभी पीछे के रोशनदान से कुत्तों के रोने की आवाज सुनाई दी!अब तो जैसे लगने लगा सच में कोई मेरे ऊपर हावी हो रहा था!मेरा पूरा शरीर पसीने से तर था!ऐसा लगने लगा जैसे किसी ने मुझे अपने शिकंजे मे जकड़ लिया है! ना आवाज निकल रही थी! ना हाथ-पैर ही काम कर रहे थे!लगा जैसे आज अँधेरे के इस सागर में कोई लील ही लेगा मुझे!इतने में बाहर से मां ने आवाज लगाई और मेरी नींद टूट गई!फिर समझ आया मैं एक सपना देख रहा था और मेरा डर ही था जो मुझपे हावी था!