दिल के कमरों में आज कैसी महक आयी है, लगता है उसके बदन को छूकर हवा आयी है। कई रोज़ से तबियत ख़राब रहने लगी है मेरी, यक़ीनन उसे आज़ इश्क़ की हिचकी आयी है। सुना है सावन में ख़्वाब पागलपन बन जाता है, इक दास्तां लिखने लहरों के संग हवा आयी है। इक उम्र से नही खटखटाता कोई दरवाजा मेरा, ढ़लते दिन के साथ ज़िंदगी की शाम आयी है। तुझे न चाहने की कसम आज़ टूट गई अंजान, जबसे तेरी तस्वीर मेरी निग़ाहों में उतर आयी है। ♥️ Challenge-808 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।