(उक्ति)"कुहासे की बात" इस कुहासे को देखो न जरा! ये कुछ बात कहती है, तुम्हारे यादों में बीते वो दिन, और हर इक रात कहती है। तुम समझो तो सही उसकी बाते, वो हमारी तुम्हारी, पहली मुलाकात कहती है। तुम्हें स्पर्श कर जो आभास हुआ था, हर वो जज्बात कहती है। कैसे तुम्हें एक झलक को बेचैन रहती है, दिल से दिल की वो, ख्यालात कहती है। सच में कभी सुनो न तुम! ये कुहासे हर वो बात कहती है, जो मैं तुमसे नहीं कह सकती! ©anjana wrighter (उक्ति)"कुहासे की बात"