कैसी थी वो रात कुछ कह नहीं सकती मैं चाहूँ कहना तो भी बयां कर नहीं सकती मैं बन के दुल्हन जब मैं उसकी बाँहों में गई थी सेज सजी थी फूलों की इत्र पर उस महकाई थी घूँघट में इक चाँद था और सिर्फ तन्हाई थी आवाज़ दिल के धड़कने की फ़िर ज़ोर से आयी थी प्यार से जो उसने घूँघट चाँद से हटाया था प्यार का रंग उतरकर फ़िर उसके चेहरे पर आया था बाँहों में ले कर फ़िर उसने लबो की लाली चुराई थी उस सर्द रात में साँसे भी शोला बन कर टकराई थी टिका, बिंदी , कंगना , पायल सब ने शोर मचाया था जब उसने मेरे शोख़ बदन को धीरे से सहलाया था , डूब गए थे हम दोनों उस दहकती प्यार की आग में तोड़ दिया था हम ने कलियों को उसके प्यार के बाग़ में क्या बतलाये अब हम वह रात किस कदर निराली थी हमारे सुहाग की वो रात ,जो इतनी शोख़ मतवाली थी #NojotoQuote मेरे सुहाग की वो रात ✨ #सुहाग_रात