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प्यारे भैया, प्यारे भैया, आप पर हमलावर होकर मैं अ

प्यारे भैया, प्यारे भैया,

आप पर हमलावर होकर मैं अपने पर ही हमलावर होती हूं। और आप पर प्यार बरसाकर खुद पर ही मेहरबान होती हूं।

भैया आपकी मौजूदगी तो है नहीं। भगवान सा पूजती हूं आपको, क्योंकि भगवान भी कहां मौजूद होते हैं? बस उन्हें अपने मन में साधना होता है। चाहे तो कल्पनाओं और भावनाओं की अतिरेकता में उनकी प्रतिमाएं बनाकर अपने प्रेम में आसानियां पैदा करो या फिर उन्हें मूल्यों के रूप में जज्ब करो।

अजब किस्सा है मानव मन का! किसी की नामौजूदगी में दो विपरीत ध्रुव मौजूद होते हैं। या तो विषाक्त होकर रुल जाओ या फिर आत्म की तलाश में परमात्मा की सूरत गढ़ लो।
दो मनुष्यों का प्रेम उपस्थिति से दर्ज होता है। अनुपस्थिति या तो विष से भरी होगी या अमृत से। बीच का कोई द्वार नहीं इसके लिए।
प्यारे भैया, प्यारे भैया,

आप पर हमलावर होकर मैं अपने पर ही हमलावर होती हूं। और आप पर प्यार बरसाकर खुद पर ही मेहरबान होती हूं।

भैया आपकी मौजूदगी तो है नहीं। भगवान सा पूजती हूं आपको, क्योंकि भगवान भी कहां मौजूद होते हैं? बस उन्हें अपने मन में साधना होता है। चाहे तो कल्पनाओं और भावनाओं की अतिरेकता में उनकी प्रतिमाएं बनाकर अपने प्रेम में आसानियां पैदा करो या फिर उन्हें मूल्यों के रूप में जज्ब करो।

अजब किस्सा है मानव मन का! किसी की नामौजूदगी में दो विपरीत ध्रुव मौजूद होते हैं। या तो विषाक्त होकर रुल जाओ या फिर आत्म की तलाश में परमात्मा की सूरत गढ़ लो।
दो मनुष्यों का प्रेम उपस्थिति से दर्ज होता है। अनुपस्थिति या तो विष से भरी होगी या अमृत से। बीच का कोई द्वार नहीं इसके लिए।
pratimatr9567

Vidhi

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