अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में, लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं। अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में, लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं।