✍️आज की डायरी✍️ 🌷बाल दिवस🌷 बेफ़िक्र होकर फ़िर से जीना चाहता है । ये ज़िंदगी फ़िर से वही बचपना चाहता है । बेवजह ही उन दोस्तों से लड़ना चाहता है । ये जिंदगी फ़िर से वही बचपना चाहता है ।। (१) ना घर की सुध ना खाने की याद आती थी , जब खेलने में सुबह -शाम गुज़र जाती थी , माँ के आँचल में फ़िर से छुपना चाहता है।। ये ज़िंदगी फ़िर वही............(२) भाई बहनों के साथ जब लड़ते रहते थे हम , चोट लग जाये तो साथ खुद भी रोते थे हम , पापा की डांट से फ़िर से बचना चाहता है ।। ये जिंदगी फ़िर वही............(३) बचपने में बड़े होने की दुआ करना गलत था , अब समझ आया की वो सफ़र कितना सरल था , खो गया जो बचपन फ़िर से वही पाना चाहता है।। ये जिंदगी फ़िर वही.............(४) 💐 बाल दिवस की ढेरों शुभ कामनाएं💐 ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र #ChildrensDay