"जब वह खेत पर हल लगाता बंजर भूमि को मुलायम बनाता" "झाड़ घास-फूस को बिन कर बीज बोता, 'हर दिन अपने सामने जीवन को उगते देखता,"पनपते देखता, "जब अमृत भरा जल छिड़कता उम्मीद के भाव से पौधों को सींचता" "उसके नंगे पैर मिट्टी में पड़ कर बीज को और यौवन देते" "वह पौधा फसल बनकर तैयार होता' "उसके अंदर जो धैर्य का सफर था' "आज वह मेहनत के फल के रूप में मिलता" 'वह हाथों से फसल काट के उसको तैयार करके हम तक पहुंचाता" "हमारी भूख को शांत करता' "धन्य हो अन्नदाता" "किसान तेरे अंदर इतना सब्र" "पूरे वर्ष बीज को पौधा और पौधे से फसल बनने की सफर में तेरे भावनाओं का संतुलन बना रहता" "इस बीच कभी आंधियां चलती कभी बेशुमार बरसात होती" 'फिर भी तू अपने अंदर धैर्य की आस बनाए रखता' "परमात्मा में विश्वास बनाए रखता" सुप्रभात। जीवन की विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी संयम को क़ायम रखने वाले किसानों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। #मेहनतकश #yqdidi #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi