संस्कृतभारती मेरठ-प्रान्त: गुरुवासर: ०९/०७/२०२० सुभाषितम् पुष्पिताः फलवन्तश्च तर्पयन्तीह मानवान्। वृक्षदं पुत्रवत् वृक्षास्तारयन्ति परत्र च॥ भावार्थ:- फल और फूलों वाले वृक्ष मनुष्य को तृप्त करते हैं। वृक्ष देने वाले अर्थात वृक्षारोपण व संवर्धन करने वाले मनुष्य का तारण परलोक में भी करते हैं। संस्कृतं मम जीवनध्येयम् #Beauty संस्कृतं मम जीवनध्येयम्