गर उनके दिल में भी ये चाहत न होती तो नज़रें मिलाने की इजाजत न होती कोई हौसला क्या ये ईश्क भी करता मेरे हुस्न तेरी जो शराफ़त न होती है पैबंद दोनों जहां बस प्यार भर से या रब कायनात में नफ़रत न होती बागों में कलियों का इतराना भी क्या है भवरों को इनसे जो मोहब्बत न होती जो दरवाज़े पे यूंही दिया करते थे दस्तक ऐ ज़माने तुझमें अब वो शरारत न होगी दवा सा लिया करता हूं अब सांस भी मैं जिन्दगी तुझसे इससे ज्यादा नफ़रत न होगी कहीं से लौट आता था आवाज़ सुनकर फ़िर उम्र क्या ऐसी इजाजत न होगी ©Akhilesh Ray #Healling