जज़्बातों का तमाशा ----------------------------- तमाशे के मंज़र में...! आज फिर अहसास बिकते देखा है, आज फिर जज़्बात की नीलामी होते देखी है।। खैर आदत थी ,...तमाशा बनने की...., लेकिन फिर भी आज जज़्बात को दफनाया है।। आज फिर.............., तमाशे की तरह... अहसास भी बिकते रहे और जज़्बातों की नीलम होती रही।। Kirti 27/july/2020 #स्वरचित #जज़्बात #मोल_भाव #हिन्दीकविता