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मुक्तक: नैना नैना   लगते   तीखे  -  तीखे। अधर कमल

मुक्तक: नैना

नैना   लगते   तीखे  -  तीखे।
अधर कमल के पुष्प सरीखे।
हौले - हौले  होंठ  खुले जब।
शब्दों  ने   उर  भाषा  सीखे॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
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