आँचल से परचम न बना सकी औरत मजाज़ रोती है आज भी अपनी किस्मत को औरत जात नौजवान खातून से / मजाज़ लखनवी हिजाबे फतना परवर अब उठा लेती तो अच्छा था। खुद अपने हुस्न को परदा बना लेती तो अच्छा था तेरी नीची नजर खुद तेरी अस्मत की मुहाफज है। तू इस नश्तर की तेजी आजमा लेती तो अच्छा था