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मन कोपभवन में बैठ गया जिद्दी छोटी सी जिद लेकर, बो

मन कोपभवन में बैठ गया
 जिद्दी छोटी सी जिद लेकर,
बोला की चाँद को ले आओ
खेलूँगा चाँद संग मन भरकर,
मैं बोला रे मन ले आता-2
पर कमी एक छोटी सी है,
जिस घर का वासी तू ठहरा 
उसमें एक छोटा दिल भी है,
उसकी भी अपनी आदत है 
वो दाग पसंद नही करता,
बेदाग खिलौने लाया हूँ
जाकर उससे मन बहला लो,
अग्रज हो तुम मन समझा लो 
मैं पक्षपात तो नही करता,
इस 'निखिल' की अपनी आदत है
अनुजों को निराश नहीं करता।
-निखिल की कलम से। #कविता_शीर्षक
#जिद्दी_मन
मन कोपभवन में बैठ गया
 जिद्दी छोटी सी जिद लेकर,
बोला की चाँद को ले आओ
खेलूँगा चाँद संग मन भरकर,
मैं बोला रे मन ले आता-2
पर कमी एक छोटी सी है,
जिस घर का वासी तू ठहरा 
उसमें एक छोटा दिल भी है,
उसकी भी अपनी आदत है 
वो दाग पसंद नही करता,
बेदाग खिलौने लाया हूँ
जाकर उससे मन बहला लो,
अग्रज हो तुम मन समझा लो 
मैं पक्षपात तो नही करता,
इस 'निखिल' की अपनी आदत है
अनुजों को निराश नहीं करता।
-निखिल की कलम से। #कविता_शीर्षक
#जिद्दी_मन
nikhilkumar6445

Nikhil Kumar

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