मेरे सपनो के दरवाजों से, मुझे तुम मुस्करा के जगाती थी,,, और बिना कोई सक तुम आँख खुली नही की बस मुझे ही कॉल लगाती थी,, सायद तुम हमेसा सही लेकिन ये बाते तो लगभग झुटी थी,,, की मेरे दूर होने पर तुम्हारी आँखे भर आती थी,, रूह थी मेरी न तुम,, तो चलो पुछता हु मै,, जब मै चीखता, रोता था तेरी याद मे,, उसकी गूंज क्या तेरे दिल को , नही सुनाई आती थी,, सायद तुम सही थी, लेकिन ये बात लगभग झूठी थी,,,, की दूर होने पर तेरी आँखे भर आती थी,, #दिल की बात