सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ सफर आसान ना रहा होगा रेगिस्तान में शिक्षित नारी लिखने का मनुवादी बेड़ियों को काट आगे बढ़ने का सफर आसान ना रहा होगा छुआछूत के पत्थर खाकर आगे बढ़ने का तेज आंधियों में शिक्षा का दीपक जलाने का सफर आसान ना रहा होगा मराठाओं की तलवारों पर नारी शिक्षा की इबारत लिखने का शिवाजी की भूमि पर अबला नारी को सबल लिखने का सफर आसान ना रहा होगा नारी के हाथों में क्रांतिकारी कलम थमने का चौके चुलेह से विद्यालय की चोखट का सफर आसान ना रहा होगा भारत की अमावस रातों में चांद निकलने का भारत में प्रथम विदुषी कहलाने का ©कवि- जीतू जान #BookLife