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मेरी नादानी देखो मैं सूरज को पकड़ने चला था उस

 मेरी नादानी  देखो  मैं सूरज को  पकड़ने चला था उस बेवफा की खातिर मैं अपनों से लड़ने चला था !मैं नये नये ख्वाब आसमा मे जड़ने चला था!  बनाया था मैंने अपने दिल को ताजमहल , मैं उस संगेदिल  पर मरने  चला था!मेरी नादानी देखो मैं सूरज  को पकड़ने चला था!

©Dinesh Kashyap
  # नादानी

# नादानी #Poetry

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