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मेरी कलम ✍🏻✍🏻🙏🏻🙏🏻 *(रवि परिहार)* *ना जाने

मेरी कलम  ✍🏻✍🏻🙏🏻🙏🏻
*(रवि परिहार)*

*ना जाने क्यूँ एक वर्ग हमसे जलता है...*✍🏻

शायद वो हमारी ऊंचाई छूने से डरता है...
बेशक वो बातें बराबरी की करता हैं...
ग़र बराबर बैठेने  पर उसे अखरता है..

*ना जाने क्यूँ एक वर्ग हमसे जलता है...*✍🏻

हिंदुत्व कि बातें कर एकता को कहता है...
और एक हो जाये तो फ़िर दूरियाँ बढ़ाता है...
बैठ ऊँचे पायदान जाति धर्म बतलाता है...
जाति तोड़नी नहीं और धर्म का ज्ञान सीखता है 

*ना जाने क्यूँ एक वर्ग हमसे जलता है..*✍🏻

अपने हित में वो सबको एक बतलाता हैं..
जब हम एक हो तो हीन भाव दिखाता है...
अखंडता की बात कर ख़ुद शासित होना चाहता है..
छोटे बड़े का भेद कर बार बार रौब दिखाता है. 

*ना जाने क्यूँ एक वर्ग हमसे जलता है*✍🏻

भेदभाव कर वो रोड़े बनता जाता हैं...
अपना बन  छुप -छुपकर भेद दिखाता है..
जाति- जाति कर पानी भी अलग बताता है..
एक टांके के दो भाग कर पानी पीता है..

*ना जाने क्यूँ एक वर्ग हमसे जलता है...*✍🏻

 छीनकर जायदाद अपना अंश बढ़ाता है...
औरो के लहू से गेहूं वो उगाता है...
बैठ अलग वो हिंदू हिंदू चिल्लाता है..
दलित की बात प़र मुह मोड़ जाता हैं...

*ना जाने क्यूँ एक वर्ग हमसे जलता जाता हैं...*✍🏻
*ना जाने क्यूँ एक वर्ग हमसे जलता जाता हैं...*✍🏻

रवि परिहार ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻

©RAVI PARIHAR
  #Dark
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RAVI PARIHAR

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#Dark #Poetry

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