read in caption किसान है तो देश की सांस में जान है...... मैं गांव से हुं तो किसानों को करीब ही नहीं बहुत करीब से जानता हुं।अभी मैं आगे की पढ़ाई पटना से कर रहा हुं लेकिन जब भी गांव आता हूं तो खेतों में जाना नहीं भुलता । खेतों में सैर करने जाता तो बचपन की यादें ताजा हो जाती। बचपन के दिनों में अपने दादा जी के साथ खेत में आता था और वहां सबको बारीकी से देखता था जन आते थे जन गाँव की भाषा मे मजदूर को बोलते है तो जन के आते ही खेत जोतना शुरू होता था (उस समय खेतों में हल से जुताई होती थी लेकिन अब ट्रेक्टरो से होती है) ज