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Mumbai Rains १ मैं तो तुझपे पुरी क़िताब लिखूं, और

Mumbai Rains १

मैं तो तुझपे पुरी क़िताब लिखूं,
और लिखूंगा ही
मुझे रोकेगा कौन,
और रोकेगा भी क्यों?

तुझसा ,कोई और मिलेगा क्या मुझे,
ऐसा सोच भी कैसे लिया ?
नही-नही-नही ऐसा अब होगा ही नहीं,
इतना अच्छा भी नसीब नही मेरा ।


तुझसा कोई और होगा ?
ऐसा होगा ही नही
तुम जैसा बनने के लिए,
किसी एक को ही -
माँ-बाप दोनों बनना होगा
और ये तो होने से रहा -
शादी से पहले ।

इतनी छोटी सी ,
उम्र में ही
तुमने माँ के समान
ममता निछावर की है
कौन करता है ऐसा ?
मैंने कभी सुना नही-
मैंने कभी देखा नही ।

मैंने देखा है ,
तुम्हारा प्यार वो बिना ,
किसी स्वार्थ वाला
वो कुछ पल के लिए नही 
तुम जब से हो, अब तक ।

अरे चलो ,जाओ दुनिया-वालो,
मन में ये भ्रम कभी मत लाना,
मेरे पास भी कोई है ,
जो ऐसी है 
  हा होगी किंतु,
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी "माँ" ।

मै अच्छा था बहुत,
पर ये दुनियां के बदलते बार-बार,
चेहरों से टूट गया था मैं
हा टूट गया था-
लेकिन बिखरना बाकी था,
याद है वो पल 
कैसे तुमने मुझे 
एक-एक करके जोड़ा था ।

मैंने सुना है ,
और ,समझ भी सकता हूँ
माँ-बाप के प्यार का,
कोई मोल नही 
पर तेरे प्यार को,मैं
धीरे-धीरे समझा हूँ
ये प्यार भी ,
मेरे लिए कोई ,
अनमोल से कम नही ।


                               - बद्रीनाथ #mrbnp#कविता#notojo#totojokabita
please aap sabhi comments karke bataye kaisa lga aap sabhi ko  , dusra part jald hi launga🙏🙏 


१

मैं तो तुझपे पुरी क़िताब लिखूं,
और लिखूंगा ही
Mumbai Rains १

मैं तो तुझपे पुरी क़िताब लिखूं,
और लिखूंगा ही
मुझे रोकेगा कौन,
और रोकेगा भी क्यों?

तुझसा ,कोई और मिलेगा क्या मुझे,
ऐसा सोच भी कैसे लिया ?
नही-नही-नही ऐसा अब होगा ही नहीं,
इतना अच्छा भी नसीब नही मेरा ।


तुझसा कोई और होगा ?
ऐसा होगा ही नही
तुम जैसा बनने के लिए,
किसी एक को ही -
माँ-बाप दोनों बनना होगा
और ये तो होने से रहा -
शादी से पहले ।

इतनी छोटी सी ,
उम्र में ही
तुमने माँ के समान
ममता निछावर की है
कौन करता है ऐसा ?
मैंने कभी सुना नही-
मैंने कभी देखा नही ।

मैंने देखा है ,
तुम्हारा प्यार वो बिना ,
किसी स्वार्थ वाला
वो कुछ पल के लिए नही 
तुम जब से हो, अब तक ।

अरे चलो ,जाओ दुनिया-वालो,
मन में ये भ्रम कभी मत लाना,
मेरे पास भी कोई है ,
जो ऐसी है 
  हा होगी किंतु,
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी "माँ" ।

मै अच्छा था बहुत,
पर ये दुनियां के बदलते बार-बार,
चेहरों से टूट गया था मैं
हा टूट गया था-
लेकिन बिखरना बाकी था,
याद है वो पल 
कैसे तुमने मुझे 
एक-एक करके जोड़ा था ।

मैंने सुना है ,
और ,समझ भी सकता हूँ
माँ-बाप के प्यार का,
कोई मोल नही 
पर तेरे प्यार को,मैं
धीरे-धीरे समझा हूँ
ये प्यार भी ,
मेरे लिए कोई ,
अनमोल से कम नही ।


                               - बद्रीनाथ #mrbnp#कविता#notojo#totojokabita
please aap sabhi comments karke bataye kaisa lga aap sabhi ko  , dusra part jald hi launga🙏🙏 


१

मैं तो तुझपे पुरी क़िताब लिखूं,
और लिखूंगा ही