मैं भी यह हौंसला किसी रोज़ करके देखुंगा, मैं ज़ख्म हुं तेरा तो एक रोज़ भरके देखुंगा, " मन " हल्का होता हैं रोनें सें कहता हैं ज़माना, मैं भी तेरी याद में एक रोज़ आहें भरके देखुंगा, मोहब्बत की नदी में मौंजे बड़ा सुकुन देती हैं, मैं भी उसकी मौजों में एक रोज़ बहके देखुंगा, दिल पर एक चोट बदल देती हैं तकदीर लोगों की, मैं भी एक रोज़ दिल पर चोट खा करके देखुंगा, जिसनें मौत को गले लगाया उसके गम दुर हो गये, मैं भी चैन सें सोनें के लिऐ एक रोज़ मरके देखुंगा, एक रोज़ ( गज़ल )